पब्लिक फिगर: जन नायक कर्पूरी ठाकुर 1924 में नाई (नाई) समुदाय में जन्मे, कर्पूरी ठाकुर की एक सीमांत किसान के बेटे से एक सम्मानित राजनीतिक हस्ती तक की यात्रा पिछड़े वर्गों के लिए उनके समर्पण और सेवा का एक प्रमाण थी। By Lotpot 21 May 2024 | Updated On 03 Jul 2024 16:20 IST in Lotpot Personality New Update जन नायक कर्पूरी ठाकुर Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 पब्लिक फिगर: जन नायक कर्पूरी ठाकुर:- 1924 में नाई (नाई) समुदाय में जन्मे, कर्पूरी ठाकुर की एक सीमांत किसान के बेटे से एक सम्मानित राजनीतिक हस्ती तक की यात्रा पिछड़े वर्गों के लिए उनके समर्पण और सेवा का एक प्रमाण थी। कर्पूरी ठाकुर का जन्म समस्तीपुर जिले के पितौझिया गांव में हुआ था। पटना से 1940 में उन्होंने मैट्रिक परीक्षा पास की और स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे। कर्पूरी ठाकुर ने आचार्य नरेंद्र देव के साथ चलना पसंद किया। इसके बाद उन्होंने समाजवाद का रास्ता चुना और 1942 में गांधी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया। इसके चलते उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। (Lotpot Personality) ठाकुर का राजनीतिक करियर कई महत्वपूर्ण पड़ावों से भरा रहा। 1970 में राज्य के पहले गैर-कांग्रेसी समाजवादी मुख्यमंत्री के रूप में इतिहास रचने से पहले उन्होंने बिहार के मंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल बिहार में पूर्ण शराबबंदी के लिए उल्लेखनीय था। उन्होंने कई स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से बिहार के अविकसित क्षेत्रों में, यह सुनिश्चित करते हुए कि शिक्षा उन लोगों के लिए सुलभ हो जो ऐतिहासिक रूप से दरकिनार कर दिए गए थे। (Lotpot Personality) कर्पूरी ठाकुर को जन नायक क्यों कहा जाता है? एक नेता के रूप में, वह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उत्थान को लेकर बहुत चिंतित थे। उनके प्रयास मंडल आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन (implementation of the Mandal Commission recommendations) के लिए मंच तैयार करने में महत्वपूर्ण थे, जिसने 1990 के दशक में ओबीसी के लिए आरक्षण की वकालत की थी। 1977 में, ठाकुर के मुख्यमंत्री काल के दौरान प्रस्तुत की गई मुंगेरी लाल आयोग की रिपोर्ट में पिछड़े वर्गों को अत्यंत पिछड़े वर्गों और मुसलमानों के कमजोर वर्गों सहित पिछड़े वर्गों में पुनर्वर्गीकृत करने की सिफारिश की गई थी। जब वह बिहार के शिक्षा मंत्री थे तब उन्होंने मैट्रिक स्तर पर अनिवार्य विषय के रूप में अंग्रेजी को हटाया, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों को परेशानी न हो और वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें। (Lotpot Personality) कर्पूरी ठाकुर की नीतियों और पहल का असर बिहार में पिछड़ी राजनीति के उदय में देखा जा सकता है। उनके काम ने पिछड़े वर्गों के सशक्तिकरण की नींव रखी, जिसने बाद में जनता दल (यूनाइटेड) या जेडी (यू) और राष्ट्रीय जनता दल जैसी क्षेत्रीय पार्टियों के गठन को प्रभावित किया। कर्पूरी ठाकुर, जिन्हें अक्सर 'जन नायक' या लोगों के नायक के रूप में जाना जाता है, बेहद सम्मान और प्रशंसा के पात्र बने हुए हैं। दिवंगत समाजवादी नेता को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया। “श्री ठाकुर को सम्मानित करके, सरकार लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के प्रतीक के रूप में उनकी भूमिका को पहचानती है। सरकार भी समाज के वंचित वर्गों के लिए एक प्रेरक व्यक्ति के रूप में उनके गहरे प्रभाव को स्वीकार करती है। उनका जीवन और कार्य भारतीय संविधान की भावना का प्रतीक है, जो सभी के लिए समानता, भाईचारे और न्याय की वकालत करता है”। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ठाकुर को "सामाजिक न्याय का प्रतीक" कहा और कहा कि “प्रतिष्ठित मान्यता हाशिये पर पड़े लोगों के लिए वह एक चैंपियन हैं”। (Lotpot Personality) इन्हें भी जानें:- Public Figure: हैरी पॉटर की लेखिका जे.के. रोलिंग Public Figure: हरित क्रांति के जनक एम. एस. स्वामीनाथन Public Figure:अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पहले सचिव राम मनोहर लोहिया Public Figure: भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री थे भीमराव अम्बेडकर #लोटपोट #Lotpot #Public Figure #famous personality #lotpot E-Comics #लोटपोट ई-कॉमिक्स #Jan Nayak Karpoori Thakur #Karpoori Thakur Biography in Hindi #Bharat Ratna Awardee Karpoori Thakur #Karpoori Thakur Jeevani In Hindi #Karpoori Thakur Jeevan Parichay #जन नायक कर्पूरी ठाकुर #कर्पूरी ठाकुर का जीवन परिचय #कर्पूरी ठाकुर कौन थे? #Who was Karpoori Thakur? You May Also like Read the Next Article